प्रधानमंत्री मोदी ने इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के कार्यक्रम में कहीं ये बड़ी बातें
कोरोना आपदा को आत्मनिर्भर भारत के लिए टर्निंग पॉइंट बनाना है

- मोदी ने कहा- मुश्किल हालातों ने हर बार भारत के संकल्प को मजबूत किया है
- ‘ये समय कंजर्वेटिव एप्रोच का नहीं, बल्कि साहसिक फैसलों और निवेश का है’
- कोरोना के खिलाफ हर देशवासी संकल्पित
- आत्मनिर्भर भारत पर दिया प्रधानमंत्री ने जोर
- ऊर्जा के क्षेत्र में सरकार के कामों को गिनाया
- पीएम मोदी ने ICC की तारीफ की
कोलकाता. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) के एनुअल प्लेनरी सेशन में इंडस्ट्री के लोगों से बात की। उन्होंने कहा कि कोरोना आपदा को हमें बहुत बड़ा टर्निंग प्वाइंट बनाना है। ये टर्निंग पॉइंट है- आत्मनिर्भर भारत।
मोदी ने कहा कि पीपुल, प्लेनेट और प्रॉफिट एक दूसरे से इंटरलिंक हैं। ये तीनों एक साथ आगे बढ़ सकते हैं। इसे एलईडी बल्ब के उदाहरण से समझ सकते हैं। 5-6 साल पहले एक एलईडी बल्ब 350 रुपए से भी ज्यादा में मिलता था, अब 50 रुपए में भी मिल जाता है।
कीमत कम होने से एलईडी बल्ब घर-घर पहुंचे। इससे प्रोडक्शन कॉस्ट कम हुई और प्रॉफिट भी बढ़ा। आम आदमी का बिजली का बिल कम हुआ है। देशवासियों को हर साल करीब 19 हजार करोड़ रुपए की बचत हो रही है। इसका फायदा प्लेनेट को भी हुआ। सरकारी एजेंसियों ने जितने एलईडी बल्ब बेचे हैं उनकी वजह से चार करोड़ टन कार्बन का उत्सर्जन कम हुआ है।
मुसीबत की दवा है मजबूती
मोदी ने कहा कि इस बार आईसीसी का एनुअल सेशन ऐसे समय हुआ है देश के सामने एक साथ कई चैलेंज हैं। कोरोना वायरस से पूरी दुनिया लड़ रही है। भारत भी लड़ रहा है, लेकिन दूसरे संकट भी आ रहे हैं। ऐसे में हमारी एकजुटता और इच्छाशक्ति एक राष्ट्र के रूप में बहुत बड़ी ताकत है। मुसीबत की एक ही दवाई है- मजबूती। मुश्किल समय ने हर बार भारत के संकल्प (डिटर्मनेशन) को मजबूत किया है। देशवासियों के संकल्प को ऊर्जा दी है।
देशवासियों को कई सेक्टर में आत्मनिर्भर नहीं होने का अफसोस
आत्मनिर्भरता का भाव सालों से हर भारतीय ने एक एस्परेशन की तरह जिया है। फिर भी मन में रहा है कि काश हम मेडिकल, डिफेंस, कोल-मिनरल और फर्टिलाइजर जैसे सेक्टर में आत्मनिर्भर होते। काश हम इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग, सोलर पैनल, चिप, एविएशन सेक्टर में भी आत्मनिर्भर होते। ऐसे कितने सारे काश हमेशा से हर भारतीयों को झकझोरते रहे हैं।
कोरोना संकट से निकला है आत्मनिर्भर अभियान
पिछले 5-6 सालों में देश की रीति-नीतियों में भारत की आत्मनिर्भरता का लक्ष्य सबसे ऊपर रहा है। कोरोना काल ने हमें इसकी गति और तेज करने का सबक दिया है। इसी सबक से निकला है- आत्मनिर्भर भारत अभियान। हम देखते हैं कि परिवार में भी बेटे-बेटी 18-20 साल के हो जाते हैं तो मां-बाप कहते हैं कि अपने पैरों पर खड़े होना सीखो। एक तरह से आत्मनिर्भर भारत का पहला पाठ परिवार से ही शुरू होता है।
विदेशी सामान की आदत पर कंट्रोल करना है
आत्मनिर्भर भारत अभियान का सीधा सा मतलब है कि भारत दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता कम से कम रखे। हर वो चीज जिसे इंपोर्ट करने के लिए देश मजबूर है वो भारत में ही कैसे बने, ये सोचना है। हर वो सामान जो भारत का लघु उद्यमी बनाता है, जो सामान हमारे सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़े करोड़ों गरीब बनाते हैं, उसे छोड़कर विदेश से वही सामान मंगवाने की आदत पर हमें कंट्रोल करना है।
पीएम मोदी ने ICC की तारीफ की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स (ICC) की तारीफ करते हुए कहा कि इस संस्था ने देश की आर्थिक प्रगति में अहम योगदान दिया है. अपने गठन के बाद से ICC ने अब तक काफी कुछ देखा है और भारत की विकास यात्रा का हिस्सा रहे हैं. इस साल की बैठक ऐसे वक्त में हो रही है, जब देश कई मुश्किलों को झेल रहा है. उन्होंने कहा कि 5 साल बाद ICC संस्था अपने सौ साल पूरे करेगी. 2022 में देश की आजादी के 75 साल पूरे होने जा रहे हैं. ऐसे में हर किसी के लिए यही वक्त है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान को संपूर्ण करने के लिए कुछ लक्ष्य तय किए जाएं!