नई शिक्षा नीति को मंजूरी, 34 साल बाद पॉलिसी में बदलाव ,पढ़ें नई शिक्षा नीति
HRD मिनिस्ट्री का नाम बदलकर हुआ शिक्षा मंत्रालय

- मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति को दी मंजूरी
- नई शिक्षा नीति के तहत दुनियाभर की बड़ी यूनिवर्सिटीज देश में अपने कैंपस बना सकेंगी
- 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी थी, तब से इसमें कोई बड़े बदलाव नहीं हुए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट की बैठक में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी गई। 34 साल बाद एजुकेशन पॉलिसी में बदलाव हुए हैं। सरकार ने कहा है कि 2035 तक हायर एजुकेशन में 50% एनरोलमेंट का लक्ष्य तय किया है।
नई शिक्षा नीति के तहत दुनियाभर की बड़ी यूनिवर्सिटी देश में अपना कैंपस बना सकेंगी। कैबिनेट ने एचआरडी (ह्यूमन रिसोर्स एंड डेवलपमेंट) मिनिस्ट्री का नाम बदलकर मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन करने की मंजूरी भी दी है। यह फैसला नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट की सिफारिशों के मुताबिक है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में बनी थी
34 साल पहले यानी 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई गई थी। करीब तीन दशक से इसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है। इसकी समीक्षा के लिए 1990 और 1993 में कमेटियां भी बनाई गईं थीं।
केंद्र की मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है.नयी एजुकेशन पॉलिसी को कैबिनेट की मंजूरी भी मिल गयी और इसे 21वीं सदी की पॉलिसी कहा गया.
नये इस्टेब्लिशमेंट्स का होगा निर्माण. नयी एजुकेशन पॉलिसी के तहत नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (NRF) को बनाने का फैसला लिया गया है. इसके पीछे मुख्य उद्देश्य सभी यूनिवर्सिटीज में रिसर्च के काम को बढ़ावा देना है. यह केवल सरकार द्वारा संचालित किया जाएगा. इसके साथ ही इस बार की पॉलिसी में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसलेशन एंड इंटरप्रिटेशन (IITI) को बनाने का प्रस्ताव भी रखा गया है. यह विशेषतौर पर संस्कृत और दूसरी भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देगा.
भारत की श्रेष्ठ यूनिवर्सिटीज़ विदेशों में भी अपने कैम्पस बनाएंगी. नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में यह साफ किया गया कि भारत ही हाई परफॉर्मिंग यूनिवर्सिटीज़ को विदेशों में कैम्पस बनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा. यही नहीं विश्व की 100 टॉप यूनिवर्सिटीज को इंडिया में ऑपरेट करने के लिए सभी सुविधाएं दी जाएंगी.
एजुकेशन मिनिस्ट्री, नेशनल कमेटी फॉर द इंटीग्रेशन ऑफ वोकेशनल एजुकेशन (NCIVE) का निर्माण करेगी ताकि भारत में जरूरी वोकेशनल नॉलेज को ज्यादा से ज्यादा स्टूडेंट्स तक पहुंचाया जा सके. इसे ‘लोक विद्या’ नाम दिया गया है.
ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम होगा शुरू- राष्ट्रीय पुलिस यूनिवर्सिटी और राष्ट्रीय फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी का प्रस्ताव लाया जा रहा है. वहीं टॉप 100 यूनिवर्सिटीज पूरी तरह से ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम शुरू करें इसकी भी योजना तैयार हो रही है.
1:30 होगा शिक्षक और छात्रों का अनुपात- नई शिक्षा नीति के मुताबिक भविष्य में शिक्षक और छात्रों का अनुपात 1:30 होगा. नई शिक्षा नीति में कहानी, रंगमंच,सामूहिक पठन पाठन, चित्रों का डिस्प्ले, लेखन कौशलता, भाषा और गणित पर भी जोर दिया जाएगा.
इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है. नई शिक्षा नीति में 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है, इसे समझें.
अब इसे 10+2 से बांटकर 5+3+3+4 फार्मेट में ढाला गया है. इसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे. फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा.
इसके बाद में तीन साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक अवस्था के चार वर्ष (कक्षा 9 से 12). इसके अलावा स्कूलों में कला, वाणिज्य, विज्ञान स्ट्रीम का कोई कठोर पालन नहीं होगा, छात्र अब जो भी पाठ्यक्रम चाहें, वो ले सकते हैं.
नई शिक्षा नीति के कुछ खास प्वाइंट्स
-शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों को भी जागरूक करने पर जोर.
-प्रत्येक छात्र की क्षमताओं को बढ़ावा देना प्राथमिकता होगी.
-वैचारिक समझ पर जोर होगा, रचनात्मकता और महत्वपूर्ण सोच को बढ़ावा मिलेगा.
-छात्रों के लिए कला और विज्ञान के बीच कोई कठिनाई, अलगाव नहीं होगा.
-नैतिकता, संवैधानिक मूल्य पाठ्यक्रम का प्रमुख हिस्सा होंंगी.
नई शिक्षा नीति के कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलू
-2040 तक सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को मल्टी सब्जेक्ट इंस्टिट्यूशन बनाना होगा जिसमें 3000 से अधिक छात्र होंगे.
-2030 तक हर जिले में या उसके पास कम से कम एक बड़ा मल्टी सब्जेक्ट हाई इंस्टिट्यूशन होगा.
संस्थानों का पाठ्यक्रम ऐसा होगा कि सार्वजनिक संस्थानों के विकास पर उसमें जोर दिया जाए.
-संस्थानों के पास ओपन डिस्टेंस लर्निंग और ऑनलाइन कार्यक्रम चलाने का विकल्प होगा.
-उच्चा शिक्षा के लिए बनाए गए सभी तरह के डीम्ड और संबंधित विश्वविद्यालय को सिर्फ अब विश्वविद्यालय के रूप में ही जाना जाएगा.
-मानव के बौद्धिक, सामाजिक, शारीरिक, भावनात्मक और नैतिक सभी क्षमताओं को एकीकृत तौर पर विकसित करने का लक्ष्य.
नई शिक्षा नीति में संगीत, दर्शन, कला, नृत्य, रंगमंच, उच्च संस्थानों की शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल होंगे. स्नातक की डिग्री 3 या 4 साल की अवधि की होगी. एकेडमी बैंक ऑफ क्रेडिट बनेगी, छात्रों के परफॉर्मेंस का डिजिटल रिकॉर्ड इकट्ठा किया जाएगा. 2050 तक स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणाली के माध्यम से कम से कम 50 फीसदी शिक्षार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा में शामिल होना होगा. गुणवत्ता योग्यता अनुसंधान के लिए एक नया राष्ट्रीय शोध संस्थान बनेगा, इसका संबंध देश के सारे विश्वविद्यालय से होगा.