
माखन चुराकर खाया जिसने
बंसी बजाकर नचाया जिसने
उसके जन्मदिन की ख़ुशी मनाओ
प्रेम का रास्ता दिखाया जिसने
दही की हांड़ी, बारिश की फुहार
माखन चुराने आया नन्दलाल
पलकें झुकें और नमन हो जाये
मस्तक झुके और वंदन हो जाये
ऐसी नजर कहाँ से लाऊँ मेरे कन्हैया
कि आपको याद करूँ
और आपके दर्शन हो जाये
नन्द के लाल, यशोदा के पुत्र
कृष्ण जी प्यारे, यशोदा के दुलारे
सबके पालनहार, सबके रखवाले
नन्द के घर आनंद भयो
हाथी घोड़ा पालकी
जय कन्हैया लाल की
जिसकी लीला है निराली
जिसके नाम से आती खुशहाली
उस कृष्ण की दीवानी दुनिया सारी