भारत में 225 रुपये में मिलेगी कोविड-19 वैक्सीन, सीरम इंस्टीट्यूट ने गेट्स फाउंडेशन के साथ करार किया
कोरोना वायरस की वैक्सीन की सीरम इंस्टिट्यूट अभी ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी, एस्ट्राजेनेका और नोवावैक्स के कैंडिडेट्स वैक्सीन का निर्माण कर रही है।

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने शुक्रवार (7 अगस्त) को कहा कि उसने भारत तथा अन्य कम व मध्यम आय वाले देशों के लिए कोविड-19 टीके की 10 करोड़ खुराक का उत्पादन करने को लेकर गावि और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ गठजोड़ किया है।
सीरम इंस्टीट्यूट ने एक बयान में कहा, ”यह गठजोड़ सीरम इंस्टीट्यूट को विनिर्माण क्षमता बढ़ाने में मदद करने के लिए अग्रिम पूंजी प्रदान करेगा, ताकि एक बार किसी टीका या टीके को नियामकीय मंजूरियों तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्वीकृति मिल जाने के बाद गावि कोवैक्स एएमसी के तहत 2021 की पहली छमाही तक भारत व अन्य कम-मध्यम आय वाले देशों में वितरण के लिए पर्याप्त खुराक का उत्पादन किया जा सके।”
कंपनी ने बताया कि उसने प्रति खुराक तीन डॉलर यानी करीब 225 रुपए की किफायती दर निर्धारित की है। यह वित्तपोषण एस्ट्राजेनेका और नोवावैक्स के संभावित टीकों के विनिर्माण में भी समर्थन प्रदान करेगा। इन दो कंपनियों के टीके अभी परीक्षण से गुजर रहे हैं।
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन अपने निवेश कोष के माध्यम से गावि को 15 करोड़ डॉलर का जोखिम-रहित धन मुहैया करायेगा, जिसका उपयोग संभावित टीकों के विनिर्माण में सीरम इंस्टीट्यूट का समर्थन करने और भविष्य में कम व मध्यम आय वाले देशों के लिए टीके की खरीद में किया जाएगा।
सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी है सीरम
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया सबसे ज्यादा वैक्सीन डोज़ तैयार करने की क्षमता रखने वाली दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी है. अब इस कंपनी के पास भारत में वैक्सीन के लिए एक्सक्लूसिव राइट्स होंगे. साथ ही ‘महामारी की अवधि’ के लिए उसके पास अन्य देशों के लिए नॉन-एक्सक्लूसिव डील होगी. हालांकि, इसमें वो देश नहीं शामिल होंगे, जिसे विश्व बैंक ने अपर-मिडिल क्लास या उच्च इनकम वाला देश करार दिया है.