गलवान घाटी में चीनी सेना 1.5 KM पीछे हटी,लेकिन अब भी सतर्क है भारतीय सेना
भारत और चीन के बीच मई के महीने से तनाव की स्थिति बनी हुई है. लेकिन अब चीन ने गलवान घाटी में अपने कैंप पीछे हटा लिए हैं.

- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लद्दाख दौरे के बाद भारत-चीन के अफसर लगातार 48 घंटे तक कॉन्टैक्ट में थे
- मोदी ने शुक्रवार को अचानक लद्दाख पहुंचकर चीन को मैसेज दिया था कि विस्तारवादी नीति छोड़ दे
नई दिल्ली: भारत और चीन सीमा विवाद के बीच बड़ी खबर आई है. पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीन ने 1.5 से 2 किमी तक अपने टैंट पीछे कर लिए हैं. ये टैंट चीने ने पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 से पीछे किए हैं. पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 वही जगह से जहां 15-16 जून की दरम्यानी रात भारत-चीन सैनिकों के बीच झड़प हुई थी. चीन ने ये टैंट डिसइंगेजमेंट के तहत पीछे हटाए हैं. दोनों देशों की सेना ने डिसइंगेजमेंट पर सहमति जताई है और सेनाएं मौजूदा स्थान से पीछे हटी हैं. इस डिसइंगेजमेंट के साथ ही भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच नियंत्रण रेखा पर बफर जोन बन गया है.
इस मामले पर रक्षा विशेषज्ञ केके सिन्हा ने कहा, “हमने चीन से कहा था कि गलवान घाटी पर हमारा अधिकार है, आप यहां से अपनी सेना हटा ले, लेकिन वह नहीं माने. फिर भारत-चीन के बीच सेनाओं के 5 किमी पीछे हटने की बात हुई थी. लेकिन चीनी सेना अभी सिर्फ 1.5 किमी पीछे हटी है.”
सोमवार को चीनी सेना के बैक ऑफ में ये बातें ध्यान देने वाली हैं..
• पैंगोंग झील के पास फिंगर 4 में चीनी सेना के पीछे हटने का ये पहला संकेत है.
• चीन ने अभी यहां से पूरा जमावड़ा नहीं बल्कि कुछ हदतक मौजूदगी हटाई है.
• चीन ने फिंगर 4 पर अपनी पॉजिशन को कुछ हिस्सों में बांट लिया है.
• फिंगर 4 के पास चीन ने करीब अपनी 62 नई पोस्ट को हटा लिया है.
• 10 मई के बाद से चीन ने करीब 300 नई पॉजिशन तैनात कर ली थीं.
चीनी सेना यहां अब अपने टेंट वापस ले जा रही है, कुछ सैनिकों की वापसी हुई है और बॉर्डर से सटाकर जो सैन्य साजो सामान रखा था उसे भी हटाया जा रहा है. पूरी बातचीत की प्रक्रिया के दौरान भारत ने अपने पक्ष में एक ही बात कही थी, जिसमें वह अप्रैल से पहले की स्थिति को लागू करना चाहता है.
पैंगोंग झील को लेकर नहीं निकला कोई नतीजा
पैंगोंग झील के पास से दोनों सेनाएं अभी पीछे नहीं हट रही है. असल में यहां से भारतीय सेना पीछे हटना नहीं चाहती है. भारतीय सेना फिंगर-4 में है, यह इलाका हमेशा से भारत के कंट्रोल में रहा है. भारत ने फिंगर-8 पर एलएसी होने का दावा किया है. ऐसे में मंगलवार को चुशूल में भारत और चीन की सेनाओं के बीच कोर कमांडर-स्तर की बैठक का भी कोई नतीजा नहीं निकल सका है.